Kuwait Fire Tragedy 2024: कुवैत के मूंगाफ में 6 मंजिला इमारत में लगी भीषण आग Fire में मरने वाले 50 लोगों में से 45 लोग भारतीय हैं। जो लोग इस आग में मौत हो गई थी, उनके शव भारत आ गए हैं। यह आग 6 मंजिला इमारत में बुधवार तकरीबन 4:00 बजे के आसपास लगी थी। तो आज के लेख में इसी कुवैत गैस ट्रेजेडी 2024 (Kuwait Fire Tragedy 2024)से जुड़ी हुई सभी जानकारी को समझने और जानने की कोशिश करेंगे।

Kuwait Fire Tragedy 2024: यह कुवैत की वही छह मंजिला इमारत है, जहां आग लगने से 49 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हैं. मरने वालों में करीब 45 भारतीय हैं. 14 जून यानी आज के ही दिन इन मृतकों के पार्थिव शरीर को भारत लाया गया है. आज तक के रिपोर्ट के मुताबिक इस बिल्डिंग में 196 मजदूर कूस कर रखे गए थे. जो कि बिल्डिंग की क्षमता से बहुत ज्यादा है. अब इसको लेकर कुवैत सरकार (Kuwait Goverment) की ओर से एक बड़ी अपडेट आ रही है, कि बिल्डिंग मालिक की इसी लापरवाही और लालच की वजह से इतने लोगों की मौत हो गई हादसे के बाद तमाम सवाल भी उठने लगे कि अचानक यह आग कैसे लग गई हादसे के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाएगा साथ ही यहां मजदूरी करने गए. भारतीयों को किस स्थिति में रखा जाता है. इन सभी सवालों के जवाब आज हम इस में जानेंगे इसके अलावा यह भी जानेंगे कि कुवैत में भारतीय मजदूरों की स्थिति खराब होने के बावजूद वो यहां नौकरी के लिए क्यों जाते हैं. 12 जून की सुबह करीब 4:00 बजे बिल्डिंग में रहने वाले कुछ मजदूर नाइट शिफ्ट करके लौटे थे. आधी नींद में थे तभी अचानक ग्राउंड फ्लोर से धुआं उठने लगा कुवैत फायर सर्विसेस ने बताया कि इस फ्लोर पर शॉट सर्किट हुआ. जिस वजह से आग लग गई वहां बिल्डिंग की क्षमता से कहीं ज्यादा यानी 106 96 लोगों को रखा गया था. कुछ ही मिनट में आग इतनी तेजी से फैलने लगी कि सो रहे मजदूरों को संभलने का मौका तक नहीं मिला आग की लपटे देखकर सब भागने लगे लोग ज्यादा थे. और बिल्डिंग की गैलरी सकरी थी इसलिए जान बचाने के लिए कई लोगों ने बिल्डिंग से ही छलांग लगा दी कुछ लोग छत की तरफ भागे लेकिन छत बंद होने की वजह से उनकी जान नहीं बच पाई साथ ही बिल्डिंग में एक ही एंट्री गेट था. इसलिए ज्यादातर लोग बिल्डिंग के अंदर भी फंसे रह गए भारत के 45 नागरिकों ने इस हादसे में अपनी जान गवा दी शुक्रवार को भारतीय वायुसेना के विशेष विमान में इन भारतीयों के पार्थिव शरीर को लाया गया है. कुछ ही अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पुलिस बल और एंबुलेंस तैनात किए गए हैं.
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Kuwait Fire Tragedy 2024: केरल के मुख्यमंत्री Pinarayi Vijayan और राजस्व मंत्री के राजन भी हवाई अड्डे पर मौजूद हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिवार के लिए 10 लाख मुआवजे की घोषणा जबकि घायलों के लिए 50-50 मुआवजे की घोषणा की है. इस पूरे मामले पर कुवैत सरकार का कहना है कि बिल्डिंग के मालिक की लापरवाही और लालच की वजह से यह हादसा हुआ है. इस बिल्डिंग के मालिक का नाम के जीी अब्राहम है जो कि भारत के ही केरल के रहने वाले हैं. उनकी कंपनी 1977 से कुवैत की ऑयल एंड इंडस्ट्री का हिस्सा है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनबीटीसी ग्रुप ने दक्षिणी कुवैत के मंगाफ में इस बिल्डिंग को किराए पर लिया था. केजी अब्राहम इसी ग्रुप में पार्टनर और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. एनबीटीसी (NBTC) में काम करने वाले मजदूरों को इसी बिल्डिंग में रखा जाता था. कुवैत के गृहमंत्री शेख फहद अल यूसुफ अल सबा(Fahad Yousuf Saud Al-Sabah) हादसे के बाद घटना स्थल पर पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि बिल्डिंग में नियमों के विपरीत विदेशी मजदूरों को असुरक्षित स्थितियों में रहने को मजबूर किया जाता था. कंपनी मालिक ऐसा खर्चे में कटौती करने के लिए कर रहे थे. उन्होंने इस बिल्डिंग की जांच करने और बिल्डिंग के मालिक की गिरफ्तारी के आदेश भी दिए हैं. कुवैत के भारतीय दूतावास के मुताबिक वहां लगभग 10 लाख भारतीय रहते हैं. जो कुवैत की कुल आबादी का 211 प्र है. इतना ही नहीं कुवैत की कुल वर्कफोर्स में 30% भारतीय ही हैं कुल मिलाकर कई सालों से कुवैत काफी हद तक भारतीयों पर ही निर्भर है. अब सवाल यह है कि इतनी खराब स्थिति में रहने के बावजूद कुवैत भारतीयों की पहली पसंद क्यों बना हुआ है. आज तक एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी तीन बड़ी वजह सामने निकल कर आई हैं. पहली वजह है कि कुवैत में काम करना आसान है यहां ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही कमाई भी ज्यादा होती है. यहां किसी को भी एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जाता है. अगर कभी कराया भी जाता है तो ओवर टाइम देना होता है. ओवर टाइम भी 2 घंटे से ज्यादा नहीं हो सकता है दूसरी वजह है सैलरी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन यानी आईएलओ की गाइडलाइंस के मुताबिक विदेशों में काम करने वाले भारतीय कामगारों का मिनिमम वेज तय है. जिसके हिसाब से यहां काम करने वाले भारतीयों को 30000 से लेकर 50000 तक की सैलरी मिलती है. इंडियन करेंसी में अगर बात करें तो ₹2500000 तक की सैलरी उनको मिलती है. तीसरी वजह यह है कि रिसर्च फर्म वर्क यार्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुवैत दुनिया के सबसे सस्ती जगहों में से एक है. यहां पर रहना खाना पना सब सस्ता है. इन्हीं कुछ वजहों से कुवैत भारतीय मजदूरों का ठिकाना बनता जा रहा है. इस मामले में आगे जो भी अपडेट आएगा हम आप तक पहुंचाते रहेंगे आपके इस खबर पर जो भी राय है आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा..Kuwait Fire Tragedy 2024.