Bandage Cancer: अगर आपके हल्की-फुल्की चोट लगने पर हम सभी भी बैंडेज या ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल करते हैं, सालों से कटे या चोट लगने पर हर कोई इसका भी शख़्स इस्तेमाल करता है। हाल ही में हुए एक रिपोर्ट के मुताबिक चोट लगने पर इस्तेमाल होने वाले बैंडेज कैंसर Bandage Cancer जैसी घातक बीमारी का कारण भी बन सकती हैं। इसके अध्ययन में कहा गया है कि कुछ लोकप्रिय ब्रांड के बैंडेज में कई तरह के कैंसर फैलाने वाले केमिकल्स Bandage Chemical होते हैं। चूंकि इन पत्तियों का उपयोग सीधे घाव पर किया जाता है, इसलिए इनमें मौजूद हानिकारक तत्व कैंसर का कारण बन सकते हैं। तो आपको इस लेख में विस्तार से समझते हैं, कि बैंडेज आखिर कैसे कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बन सकते हैं और इससे क्या क्या बचाव के लिए क्या करें? जानिए.

Bandage Cancer: सिचुएशन 1 दाल में छौ का लगाने के लिए आप प्याज काट रहे हैं, और अचानक चाकू हाथ से फिसल जाता है और आपके अंगूठे में चोट लग जाती है. अंगूठे से थोड़ा खून निकल आता है आप तुरंत अपना फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) उठाते हैं. उसे बैंडेज निकालते हैं और अपने अंगूठे में लगा लेते हैं. सिचुएशन 2 आपका बच्चा बाहर खेल रहा है, दौड़ रहा है अचानक गिर जाता है. उसे घुटने में खरोच लग जाती है. आप तुरंत उस पर बैंडेज Bandage लगा देते हैं. जब भी हमें खरोच या फिर चोट लगती है. तब पर हम सबसे पहले बैंडज चिपकाते हैं. यह घाव को धूल मिट्टी से बचा कर रखती है. चोट भी जल्दी ठीक होती है अब मार्केट में अलग-अलग कंपनीज इसे अलग-अलग ब्रांड नेम से बेचती हैं. लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि कई बैंडेजेस में कैंसर Bandage Cancer पैदा करने वाले केमिकल्स पाए गए हैं. ध्यान दें यहां चिपकाने वाली बैंडेज के बारे में बात हो रही है इस स्टडी को मामा वेशन ने एनवायरमेंटल हेल्थ न्यूज़ के साथ मिलकर किया है. इसके लिए रिसर्चस ने 18 ब्रांड्स के 40 बैंडेजेस की जांच की पता चला कि करीब 65 फीदी यानी कि 26 बैंडेजेस में पीएफएस (PFS) मौजूद था. पीएफएस (PFS) यानी कि पर एंड पॉली फ्लोरो एल्काइन सब्सटेंस इनका इस्तेमाल कई प्रोडक्ट्स में सालों से किया जा रहा है. जैसे खाना बनाने के बर्तनों में खासकर नॉन स्टिक बर्तनों में फूड पैकेजिंग में मेकअप के सामान में कांटेक्ट लेंस में और यहां तक कि पीने के पानी में भी हालांकि इस केमिकल को हमारे शरीर के लिए बहुत घातक माना जाता है. रिसर्च की माने तो बैंडेज में पीएफएस(Bandage PFS) का इस्तेमाल उसको वाटरप्रूफ बनाने के लिए किया जाता है. हालांकि स्किन पर इसका इस्तेमाल खतरनाक है यह केमिकल खुले घावों के जरिए खून में पहुंच जाता है. और फिर वहां से हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में इससे कई बीमारियां हो सकती हैं. जैसे हमारी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है. वैक्सीन का असर कम होता है बच्चों में एलर्जी और अस्थमा का रिस्क बढ़ जाता है. कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने लगता है मोटापा डायबिटीज और किडनी से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं. मेल फर्टिलिटी घट जाती है और और तो और यह शरीर में कैंसर का जोखिम बहुत बढ़ा देता है पीएफएस जल्दी नष्ट नहीं होते यह सालों तक पर्यावरण और हमारे शरीर में मौजूद रह सकते हैं. लिहाजा इनसे खतरा और भी ज्यादा है इसलिए आज के एपिसोड में इसी पर बात करेंगे डॉक्टर से जानेंगे इस केमिकल के बारे में जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है. साथ ही जानेंगे इससे बचाव के तरीके सुनिए .
Bandage Cancer बचाव: कई ऐसी वस्तुएं हैं जिनके हम संपर्क में आते हैं. उनसे कैंसर होता है इसमें एक वस्तु है जो मेडिकल में इस्तेमाल होती है उसका नाम है बैंडेज आपने बैंडेज की खबर पढ़ी होगी जी हां यह सच है, कि कई सारी वस्तुएं जिसमें बैंडेज भी आता है उनमें केमिकल्स इस्तेमाल किए जाते हैं. और वह केमिकल्स हमारे शरीर के संपर्क में आते से ही हमारे शरीर के अंदर जाते हैं. और उनसे कैंसर Cancer होने की संभावना बढ़ जाती है. एक केमिकल है जिसका नाम है फ्लोरीन आपने पढ़ा होगा फ्लोरीन गैस के बारे में पढ़ा होगा फ्लोरीन एक ऐसा केमिकल है. जो बहुत सारे सिंथेटिक सामान के ऊपर चिपकाना पड़ता है. उसकी उम्र बढ़ाने के लिए और किसी काम के लिए जैसे बैंडेज में इसका इस्तेमाल किया जाता है. और निश्चित ही जब हम इस तरह से बैंडेज का इस्तेमाल करेंगे यह जो फ्लोरीन कवर है. पॉली फ्लोरीन कवर है यह पॉली शरीर में जाएगा और इससे कैंसर होने की संभावना बढ़ेगी जी हां मैं आपको एक चीज और बता दूं यह जो पॉली फ्लोरिन है. सिर्फ बैंडेज के ऊपर ही नहीं चिपका हुआ यह हमारे कई प्लास्टिक के समान प्लास्टिक की बोतलों पर चिपका हुआ है और साथ में यह चिपका हुआ है हमारे कुकिंग वेयर जो हमारा फ्राइंग पैन है ना चिपकने वाला फ्राइंग पैन नॉन स्टिक फ्राइंग पन उसके ऊपर भीय चिपका हुआ है. यह जो केमिकल है यह हमारे शरीर में सिर्फ बैंडेज ही नहीं और कई जगह से प्रवेश कर रहा है. और इसकी मात्रा धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. और शरीर में घुसने के बाद ये शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंच जाता है इसमें किडनी और लीवर खास करके दो दो जगह है. जहां अगर यह जाकर बैठ जाएगा तो फिर खत्म नहीं होता है अपना दुष्प्रभाव बनाता है. पानी की बोतल है जिसे हम इस्तेमाल करते ही करते हैं. नॉन स्टिक फ्राइंग पैन है जिसे हम इस्तेमाल करते ही करते हैं बाहर से कई सारा प्लास्टिक पैकेजिंग जो खाना आता है. मेरे घर पर वो प्लास्टिक के पैकेट में बंद होकर आता है. यह मेरे जिंदगी के लिए आम चीजें बन गई है. और इन सब में यह फ्लोरिन होता है और बैंडेज में भी फ्लोरिन होता है मतलब मैं जिन सब चीजों का इस्तेमाल कर रहा हू. इसकी कोटिंग में फ्लोरिंग है जो मेरे शरीर में जाएगा तो मुझे ध्यान रखना है कि इन सामानों का मैं कम से कम इस्तेमाल करूं जी हां मुझे पता है कि हम यह कर नहीं पाएंगे फिर भी हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि मेरे शरीर में कम से कम यह फ्लोरिन जाए खास करके अगर हम बैंडेज की बात करते हैं. तो जनरली स्वाभाविक रूप से हम बैंडेज बहुत कम इस्तेमाल करते हैं मगर फिर भी चूंकि अब मुझे पता है कि बैंडेज में भी यह पदार्थ है. तो मुझे कोशिश मेरी यह होनी चाहिए कि मैं बंडे अच्छी कंपनी का खरीदूंगा हो कि उसमें पीएफ दवाई नहीं है. जी हां जो भी दवाइयां और केमिकल बनते हैं. उनके ऊपर यह लिखा जाता है कि इसमें फ्लोरीन युक्त केमिकल इस्तेमाल नहीं किया गया है तो हम इस तरह के बैंडेज और सामान इस्तेमाल करें देखिए आप जब भी कोई बैंडेज या फिर नॉन स्टिक बर्तन खरीदे हमेशा अच्छे ब्रांड और बेहतर क्वालिटी का ही ले प्रोडक्ट की उम्र बढ़ाने के लिए उसे लंबा चलाने के लिए कंपनीज अक्सर इस केमिकल का इस्तेमाल करती हैं इसलिए अपनी तरफ से पूरी सावधानी बढ़ते हैं हमेशा चेक करें कि जो प्रोडक्ट आप खरीद रहे हैं उसमें कोई हानिकारक केमिकल तो नहीं है अगर हो तो उस प्रोडक्ट को ना खरीदें इसी तरह प्रोडक्ट पर पीएफएस फ्री ना लिखा हो तो उसे खरीदने से बचे अब बढ़ते हैं. सेहत के अगले सेगमेंट की तरफ तन की बात क्या फेस योगा वाकई काम करता है जानते हैं डॉक्टर्स से आजकल सोशल मीडिया पर फेस योगा के खूब चर्चे हैं यह कोई नई चीज नहीं है जैसे योगा आपके शरीर को फिट रखता है फेस योगा खास तौर पर आपके चेहरे के लिए बना है ऐसा दावा किया जाता है कि यह चेहरे से चर्बी घटाने चेहरे की मांसपेशियों का कसाव बनाए रखने और स्किन को हेल्दी रखने में मदद करता है अब क्या यह वाकई काम करता है यह जानने के लिए हमने बात की डॉक्टर मनीष जांगड़ा से डॉक्टर मनीष बताते हैं कि फेस योगा में कुछ एक्सरसाइजस होती हैं जो हमारे चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों को टारगेट करती हैं उन पर अपना असर दिखाती हैं फेस योगा का काम चेहरे और गर्दन में खून का बहाव सुधारना उनका तनाव कम करना और उनमें लचीलापन लाना होता है. दरअसल हमारा चेहरा तीन अलग-अलग परतों से बना हुआ होता है सबसे भरी परत हमारी स्किन की होती है उसके नीचे फैट यानी वसा की दो परतें होती हैं जब फैट की ये परतें आपस में अच्छे से फिट हो जाती हैं तब हमारे चेहरे को एक आकार एक पूर्णता मिलती है इन दोनों परतों के नीचे चेहरे की मांसपेशियां होती हैं और यह मांसपेशियां ज्यादातर काफी छोटी होती हैं जब हमारी उम्र बढ़ती है तब हमारा चेहरा नीचे की ओर लटकने लगता है. आपने कई लोगों को देखा होगा जिनकी स्किन बहुत ढीली हो जाती है वो चेहरे से नीचे लटक रही होती है डॉक्टर मनीष बताते हैं कि ऐसा चेहरे से फैट की परत कम होने की वजह से होता है जिससे स्किन अंदर की ओर धसी हुई नजर आती है इसी के साथ हमारी स्किन और चेहरी की हड्डियां भी पतली होने लगती हैं अब यहां काम आता है फेस योगा फेस योगा रे की अलग-अलग मांसपेशियों को टारगेट करता है और कुछ खास फेशियल मूवमेंट के जरिए यानी अपने हाथों और उंगलियों से मालिश करके इन्हें मजबूत बनाया जाता है इससे स्किन में कसाव नजर आता है फेस योगा हमारे चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों में कसावट लाता है खून का प्रवाह यानी कि ब्लड फ्लो भी सुधार है इससे स्किन हेल्दी दिखती है आप अपनी सुविधा के हिसाब से फेस योगा को कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं. हालांकि फेस योगा की कौन सी एक्सरसाइज आपके लिए सही रहेगी इसके लिए किसी फेशियल यो एक्सपर्ट से आप सलाह ले सकते हैं एक बात जरूर जान लीजिए फेस योगा असरदार है पर जादू नहीं है. अगर आप चाहते हैं. कि 50 की उम्र में आपका चेहरा ठीक वैसे ही दिखे जैसे 30 की उम्र में दिखता था या स्किन एकदम से टाइट हो जाए तो फेस योगा यह नहीं कर सकता पर हां यह स्किन में कुछ हद तक कसाव जरूर ला सकता है और स्किन को हेल्दी दिखने में मदद करता है समझे अब बारी है सेहत के आखरी सेगमेंट की खुराक यानी हेल्थ टिप कहीं आप भी शुगर फ्री और ऑल नेचुरल के चक्कर में ठगे तो नहीं जा रहे कोई भी पैक्ड फूड आइटम यानी पैकेट में मिलने वाले खाने का सामान किन-किन चीजों से बना है उसमें कितने पोषक तत्व हैं यह कितने दिनों तक खाया जा सकता है यह सारी जानकारी उस फूड आइटम के लेबल पर होती है लेकिन कई बार ये लेबल हमें गुमराह भी करते हैं भारतीयों के लिए हाल ही में जारी की गई डाइटरी गाइडलाइंस में आईसीएमआर और एनआईए ने ये जानकारी दी है उनके मुताबिक पैकेट बंद फूड आइटम के लेबल पर कई बार भ्रम फैलाने वाली बातें लिखी होती हैं मसलन ऑल नेचुरल यानी उस प्रोडक्ट में सब कुछ नेचुरल है ना अलग से कोई रंग ना कोई गंध ना ही कुछ और मिलाया गया है.Bandage Cancer वोह एकदम प्राकृतिक है हालांकि कई बार मैन्युफैक्चरर्स यानी उस प्रोडक्ट को बनाने वाले उस फूड आइटम में बहुत कुछ मिलाते हैं स्वाद या रंग को बेहतर बनाने के लिए खाने का सामान खराब ना हो इसलिए केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है अब ऐसे में वो चीजें ऑल नेचुरल कैसे हुई यह बस उसे ज्यादा से ज्यादा बेचने के लिए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है यही धोखा खाकर लोग उस खाने की चीज को नेचुरल यानी कि हेल्दी समझ लेते हैं और खूब खरीदते हैं इसलिए अगली बार जब आप किसी चीज पर ऑल नेचुरल लिखा देखें तो आंख बंद कर उस पर भरोसा ना करें उसमें मिलाए गए हर आइटम का नाम ध्यान से पढ़ें ये डब्बे या फिर पैकेट के पीछे लिखा होता है शक हो तो प्रोडक्ट ना खरीदें इसी तरह किसी जूस की बोतल पर अक्सर रियल फ्रूट या फिर फ्रूट जूस लिखा होता है असली फल का जूस होने का दावा करने वाले इन प्रोडक्ट में एक्स्ट्रा चीनी आर्टिफिशियल स्वीटनर और दूसरी चीजें मिली हो सकती हैं और फल का गूदा सिर्फ 10 फीसद ही हो सकता है आईसीएमआर के अनुसार कई बार प्रोडक्ट पर शुगर फ्री भी लिखा होता है यानी उस प्रोडक्ट में बिल्कुल भी चीनी नहीं है हालांकि अक्सर यह दावा गलत होता है शुगर फ्री फूड में फैट यानी वसा हो सकता है स्टार्च जैसे रिफाइंड सीरियल्स हो सकते हैं कई बार फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप और मल्टीटोन के रूप में छिपी हुई शुगर भी हो सकती है इसलिए डायबिटीज के मरीजों को शुगर फ्री खरीदते समय मतलब जो प्रोडक्ट्स जिन पर शुगर फ्री लिखा हुआ होता है उन्हें खरीदते समय बहुत ही ध्यान रखना चाहिए कुकिंग ऑयल जैसे कुछ पैकेज्ड आइटम में नो कोलेस्ट्रॉल या फिर हार्ट फ्रेंडली लिखा हुआ होता है यानी यह प्रोडक्ट आपके दिल के लिए बिल्कुल सुरक्षित है हालांकि वास्तव में हर बार ऐसा नहीं होता ज्यादातर जो ऑयल्स हैं वो 100 फीदी उनमें फैट होता है इसलिए हमेशा सीमित मात्रा में इन्हें खाना चाहिए देखिए आप जब भी कोई प्रोडक्ट मार्केट से खरीदें तो उसका लेबल ध्यान से देखें लेबल में प्रोडक्ट का नाम ब्रांड का नाम उसमें मिलाई गई चीजें उस प्रोडक्ट को बनाने की तारीख उसे इस्तेमाल करने की आखिरी तारीख यह सब जरूर लिखा होना चाहिए अगर उस फूड आइटम से किसी को एलर्जी हो सकती है तो उसका भी जिक्र होना चाहिए अगर आपके फूड लेबल में इसमें से कोई भी चीज है जो नहीं लिखी है तो हो सकता है वो प्रोडक्ट नकली हो आज सेहद पर इत्ता ही अगर आप एक डॉक्टर है हमसे कुछ शेयर करना चाहते हैं.Bandage Cancer